हल्का-फ़ुल्का
तालिया: एक मिनट सरदार, एक मिनट! आप क्या विदेश-यात्रा से लौटे हैं !?
दब्बर: अबे त्या बत रहा ए, महीना हो दया झामपुर थे बाहर नितले!
तालिया: तो फिर ‘सोचकर आए थे’ ‘सोचकर आए थे’ क्या लगा रखी है ? यहां के लेखक-चिंतक भी बिना-सोचे-विचारे कुछ भी लिखते रहते हैं, और आप डाकुओं को सुचवाने पर तुले हैं ? अगली डकैतियां सब फ्लॉप करवानी हैं क्या ?
दब्बर: थीत है, थांबा, तितना दोली हैं इतते अंदर ?
थांबा: बताता हूं सरदार, प्लीज़ थोड़ा टाइम दीजिए....
थरदार: अबे, दरा-थी दोलियां दिनने में तितना ताइम लदाएदा ?
थांबा: सरदार, हमारे शायर सालों से लगे हैं, दो मिसरों की मात्रा बराबर नहीं गिन पा रहे और आप चाहते हो एक मिनट में गोलियां बता दूं ?
सरदार: अबे! तुम लोद तिस तत्तर में हो आदतल ? तहीं पुरस्तार-वुरस्तार लूतने ते तत्तर में तो नहीं हो ? यहां तबाड़ा पैले ता नहीं निपत पा रहा और तुम....
तालिया-थांबा: नहीं-नहीं, सरदार, हम बिलकुल ठीक-ठाक हैं, चिंता की कोई बात नही, बस ज़रा टाइम पास कर रहे थे.....
सरदार: थुतर है, थुतर है, अबे तुमने तो मुधे दरा ही दिया ता।
-थंदय द्रोवर
06-07-2015
-संजय ग्रोवर
दब्बर सिंद: त्यों बे तालिया! त्या थोत तर आए ते ? ति थरदार भहुत थुत होदा.......
तालिया: एक मिनट सरदार, एक मिनट! आप क्या विदेश-यात्रा से लौटे हैं !?
दब्बर: अबे त्या बत रहा ए, महीना हो दया झामपुर थे बाहर नितले!
तालिया: तो फिर ‘सोचकर आए थे’ ‘सोचकर आए थे’ क्या लगा रखी है ? यहां के लेखक-चिंतक भी बिना-सोचे-विचारे कुछ भी लिखते रहते हैं, और आप डाकुओं को सुचवाने पर तुले हैं ? अगली डकैतियां सब फ्लॉप करवानी हैं क्या ?
दब्बर: थीत है, थांबा, तितना दोली हैं इतते अंदर ?
थांबा: बताता हूं सरदार, प्लीज़ थोड़ा टाइम दीजिए....
थरदार: अबे, दरा-थी दोलियां दिनने में तितना ताइम लदाएदा ?
थांबा: सरदार, हमारे शायर सालों से लगे हैं, दो मिसरों की मात्रा बराबर नहीं गिन पा रहे और आप चाहते हो एक मिनट में गोलियां बता दूं ?
सरदार: अबे! तुम लोद तिस तत्तर में हो आदतल ? तहीं पुरस्तार-वुरस्तार लूतने ते तत्तर में तो नहीं हो ? यहां तबाड़ा पैले ता नहीं निपत पा रहा और तुम....
तालिया-थांबा: नहीं-नहीं, सरदार, हम बिलकुल ठीक-ठाक हैं, चिंता की कोई बात नही, बस ज़रा टाइम पास कर रहे थे.....
सरदार: थुतर है, थुतर है, अबे तुमने तो मुधे दरा ही दिया ता।
-थंदय द्रोवर
06-07-2015
-संजय ग्रोवर