Showing posts with label night. Show all posts
Showing posts with label night. Show all posts

Monday, 18 February 2019

फिर आदमी बन जा

ग़ज़ल 

ज़िंदगी की जुस्तजू में ज़िंदगी बन जा
ढूंढ मत अब रोशनी, ख़ुद रोशनी बन जा

रोशनी में रोशनी का क्या सबब, ऐ दोस्त!
जब अंधेरी रात आए, चांदनी बन जा

गर तक़ल्लुफ़ झूठ हैं तो छोड़ दे इनको
मैंने ये थोड़ी कहा, बेहूदगी बन जा

हर तरफ़ चौराहों पे भटका हुआ इंसान-
उसको अपनी-सी लगे, तू वो गली बन जा

कुंओं में जीते हुए सदियां गई ऐ दोस्त
क़ैद से बाहर निकल, फिर आदमी बन जा

गर शराफ़त में नहीं पानी का कोई ढंग
बादलों की तर्ज़ पे आवारगी बन जा

-संजय ग्रोवर

अंग्रेज़ी के ब्लॉग

हास्य व्यंग्य ब्लॉग

www.hamarivani.com